खोना
तुम न जाने कहाँ-कहाँ
खोयी-खोयी रहती हो आजकल
और मैं तुम में खोया
और भी खोता जाता हूँ
जहाँ-जहाँ खोयी खोयी रहती हो तुम ।
खोज पाओगी मुझे क्या
जब मैं जहाँ-तहाँ
तितर-बितर होकर
बिखर जाऊँगा,
और ढूंढ-ढूंढ कर भी खुद ही को जो
कहीं खोज नहीं पाउँगा ?
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https://tamedrebel.wordpress.com/2016/07/21/%E0%A4%AE%E0%A5%8C%E0%A4%9C%E0%A5%82%E0%A4%A6%E0%A4%97%E0%A5%80/